Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jan 2023 · 3 min read

बिहार का जालियांवाला बाग – तारापुर

बिहार का जालियांवाला – तारापुर
तारापुर । बिहार के मुंगेर जिले का एक स्थान जो अंग्रेजी शासन के दौरान अंग्रेजों के अत्याचार एवं अंग्रेजी चंगुल से अपनी मां समान माटी की आजादी को तत्पर पर दृढ़संकल्पित वीर सपूतों के नरसंहार का गवाह बना । वैसे तो समूचा भारत अंग्रेजी अत्याचार से त्रस्त था परंतु तारापुर ने जो जुल्म सहा है वह अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है । दरअसल वह वर्ष 1932 की 15 फरवरी का दिन था । देशप्रेम से ओत-प्रोत सैंकडो़ देशभक्तों की टोली ने तारापुर स्थित अंग्रेजी थाने पर तिरंगा फहराने की योजना बनाई । चूंकि , मामला देशभक्ति का था इसलिए युवा, बूढ़े , बच्चे सभी ने इस योजना में बढ़ -चढ़ कर अपनी भागीदारी देने का संकल्प लिया । उनमें देशभक्ति के भाव ने आत्मविश्वास, साहस एवं हिम्मत का तूफान पैदा कर दिया था , और उस तूफान ने सबके अंदर एक नये एवं विशिष्ट जोश एवं जूनून की उत्पत्ति कर दी थी । सभी ने मन ही मन एक दृढ़ निश्चय कर लिया था मानो उन्होनें किसी भी परिणाम की चिंता अथवा उसपर विचार ही नहीं किया था । उन आजादी के दीवानों के दिलोदिमाग पर सिर्फ और सिर्फ अपनी माटी को उन विलायती अत्याचारी लुटेरों से आजादी की बात छाई थी । अपने-अपने मन में एक ठोस निर्णय कर वे वीर अपने मंजिल की ओर बढ़ चले ।
दोपहर के समय तारापुर की पावन माटी के वीर सपूतों की टोली थाने की ओर निकल पडी़ । धीरे – धीरे टोली ने एक विशाल जनसमूह का रुप धारण कर लिया । समूचा तारापुर ” भारत माता की जय ” एवं ” वन्दे मातरम ” के गगनभेदी नारों से गुंजायमान हो उठा । इस विशालकाय जनसमूह को देख अंग्रेज सिपाहियों के होश उड़ गए । उन्हें इस अपार भीड़ को देखने के बाद कुछ नजर ही नहीं आ रहा था । शुरुआत में तो अंग्रेज सिपाहियों ने इन्हें डराकर भगाने के प्रयास में खूब लाठियां भांजी लेकिन जब ये मां भारती के वीर सपूत और तारापुर की माटी के शेर टस से मस न हुए तब अंग्रेजी पुलिस के निर्दयी उच्चाधिकारियों ने सिपाहियों को भीड़ पर गोली चलाने का तुगलकी आदेश दे दिया । सिपाही तो मानो आदेश की प्रतिक्षा में ही थे । आदेश मिलते ही उन्होंने निरीह, निर्दोष एवं निहत्थे लोगों पर गोलियां दागनी शुरु कर दीं । गोलियां चलती रही , लोग मरते रहे लेकिन किसी ने भी भागना पसंद नहीं किया । किसी ने भी भागकर अपनी जान बचाने का प्रयास नहीं किया बल्कि जिस बेशरमी और बेरहमी से गोलियां चलाईं जा रही थीं वीरों ने उससे दोगुनी दिलेरी दिखाते हुए सीने पर गोलियां खाईं और अंग्रेजी शासन को दिखा दिया कि , आखिर देशभक्ति कहते किसे हैं । अगर वे चाहते तो लाठी के समय ही भाग कर अपनी जानें बचा लेते मगर उन्होंने बुजदिली से जान बचा लेने के बजाय दिलेरी से अपनी अपनी शहादत दे देने को प्राथमिकता दी और दुनिया के सामने शहादत की अनूठी नजीर पेश कर गए । इस भीषण नरसंहार के बाद अंग्रेजी सरकार ने शहीदों के शव को गाडि़यों में लादकर गंगा नदी में फिंकवा दिया । कई शहीदों की लाशें भी नहीं मिल पाईं और कईयों के नाम भी पता नहीं चल पाए । माथे पर देशभक्ति के नाम का ऐसा कफन बांधना और जानबूझकर मौत के राह पर चल पड़ना तारापुर की माटी ने दुनिया को दिखा दिया ।
जानकारों ने इस नरसंहार को जालियांवाला बाग से भी बड़ा नरसंहार बताया है क्योंकि , जालियांवाला बाग में अंग्रेजी सरकार के मंसूबों से लोग अंजान थे पर तारापुर के लोगों ने जिस आंदोलन पर कदम बढा़या था वे जानते थे कि उसका अंजाम क्या होगा । सबसे बड़ी बात यह थी कि तारापुर के लोग भागे बिल्कुल भी नहीं थे । जो जहाँ था उसने वहीं पर अपनी शहादत दे दी ।
इन सबके बीच सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि, उन वीर शहीदों में गुमनाम रह जाने वाले सेनानी आज भी गुमनाम हैं । तब उस नरसंहार में शहीद हो जानेवाले सभी नामों का राज और उनके नाम वहीं की माटी में हमेशा के लिए दफन हो गए । देशप्रेम एवं देशभक्ति में अपने आपको मिटा देने वाले उन वीर सपूतों को सादर नमन एवं ऐसे वीर पुरोधाओं को जन्म देने वाली तारापुर की पावन एवं महान भूमि का कोटि-कोटि वंदन एवं अभिनंदन ।

विक्रम कुमार
मनोरा, वैशाली

44 Views

Books from विक्रम कुमार

You may also like:
तेरे होने में क्या??
तेरे होने में क्या??
Manoj Kumar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
संत साईं बाबा
संत साईं बाबा
Pravesh Shinde
तिरंगा
तिरंगा
Dr Archana Gupta
"दूब"
Dr Meenu Poonia
नायक
नायक
Shekhar Chandra Mitra
=*तुम अन्न-दाता हो*=
=*तुम अन्न-दाता हो*=
Prabhudayal Raniwal
हम बच्चों की आई होली
हम बच्चों की आई होली
लक्ष्मी सिंह
💐प्रेम कौतुक-279💐
💐प्रेम कौतुक-279💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कोई शिकवा है हमसे
कोई शिकवा है हमसे
कवि दीपक बवेजा
प्यार-दिल की आवाज़
प्यार-दिल की आवाज़
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Hamko Chor Batane Wale - Poet Anurag Ankur's Ghazal - कवि अनुराग अंकुर की गजल
Hamko Chor Batane Wale - Poet Anurag Ankur's Ghazal -...
Anurag Ankur
छोड़ जाएंगे
छोड़ जाएंगे
रोहताश वर्मा मुसाफिर
खुद को पुनः बनाना
खुद को पुनः बनाना
Kavita Chouhan
जन्माष्टमी विशेष
जन्माष्टमी विशेष
Pratibha Kumari
पत्नीजी मायके गयी,
पत्नीजी मायके गयी,
Satish Srijan
✍️तर्कहीन आभासी अवास्तविक अवतारवादी कल्पनाओ के आधार पर..
✍️तर्कहीन आभासी अवास्तविक अवतारवादी कल्पनाओ के आधार पर..
'अशांत' शेखर
!! नारियों की शक्ति !!
!! नारियों की शक्ति !!
RAJA KUMAR 'CHOURASIA'
बहुत दिनों से सोचा था, जाएंगे पुस्तक मेले में।
बहुत दिनों से सोचा था, जाएंगे पुस्तक मेले में।
सत्य कुमार प्रेमी
जीवन-गीत
जीवन-गीत
Dr. Kishan tandon kranti
■ मंगलमय हो प्राकट्य दिवस
■ मंगलमय हो प्राकट्य दिवस
*Author प्रणय प्रभात*
इन्तिजार तुम करना।
इन्तिजार तुम करना।
Taj Mohammad
बाल दिवस पर मेरी कविता
बाल दिवस पर मेरी कविता
तरुण सिंह पवार
हो जाओ तुम किसी और के ये हमें मंजूर नहीं है,
हो जाओ तुम किसी और के ये हमें मंजूर नहीं...
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
*
*"नमामि देवी नर्मदे"*
Shashi kala vyas
निराशा एक आशा
निराशा एक आशा
डॉ. शिव लहरी
*शीत ऋतु (गीत)*
*शीत ऋतु (गीत)*
Ravi Prakash
दिलों की बात करता है जमाना पर मोहब्बत आज भी चेहरे से शुरू होती है
दिलों की बात करता है जमाना पर मोहब्बत आज भी...
Vivek Pandey
दर्द कितने समेटे हैं
दर्द कितने समेटे हैं
Dr fauzia Naseem shad
Loading...