Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Feb 2023 · 1 min read

जालिम

बिन खता के कैद में था,
जालिम कोविड ए दौर में।
पड़ा रहता मैं पलंग पर,
रोगी था बिन मर्ज के।

बज्ज निकम्मे जितने बच्चे,
आला तालिब सब हुए।
बिन परीक्षा पास हो गए,
अव्वल दर्जे में सभी।

बेमुरव्वत उन दिनों थे
अपने अथवा गैर हों।
मियां बीबी में बना था,
दो दो गज का फांसला।

कागज़ कलम स्याही बनकर,
मोबाइल था हमसफ़र।
एक फायदा हुआ मुझको,
मैं भी शायर बन गया।

-सतीश सृजन

Language: Hindi
Tag: Quote Writer
1 Like · 89 Views
You may also like:
जाने कितने ख़त
जाने कितने ख़त
Ranjana Verma
11कथा राम भगवान की, सुनो लगाकर ध्यान
11कथा राम भगवान की, सुनो लगाकर ध्यान
Dr Archana Gupta
मानसिक रोगों का उपचार संभव है
मानसिक रोगों का उपचार संभव है
Ankit Halke jha
जीवन हमारा रैन बसेरा
जीवन हमारा रैन बसेरा
मनमोहन लाल गुप्ता 'अंजुम'
201…. देवी स्तुति (पंचचामर छंद)
201…. देवी स्तुति (पंचचामर छंद)
Rambali Mishra
इक मुद्दत से चल रहे है।
इक मुद्दत से चल रहे है।
Taj Mohammad
हे देश के जवानों !
हे देश के जवानों !
Buddha Prakash
💐प्रेम कौतुक-310💐
💐प्रेम कौतुक-310💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
सपनों की तुम बात करो
सपनों की तुम बात करो
कवि दीपक बवेजा
पल भर में बदल जाए
पल भर में बदल जाए
Dr fauzia Naseem shad
*उनका उपनाम-करण (हास्य व्यंग्य)*
*उनका उपनाम-करण (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
नव्य उत्कर्ष
नव्य उत्कर्ष
Dr. Sunita Singh
ये पूजा ये गायन क्या है?
ये पूजा ये गायन क्या है?
AJAY AMITABH SUMAN
टीवी देखना बंद
टीवी देखना बंद
Shekhar Chandra Mitra
वो इश्क याद आता है
वो इश्क याद आता है
N.ksahu0007@writer
बड़ा मुश्किल है ये लम्हे,पल और दिन गुजारना
बड़ा मुश्किल है ये लम्हे,पल और दिन गुजारना
'अशांत' शेखर
लगता है आवारगी जाने लगी है अब,
लगता है आवारगी जाने लगी है अब,
Deepesh सहल
जान लो पहचान लो
जान लो पहचान लो
अभिषेक पाण्डेय ‘अभि’
मां कालरात्रि
मां कालरात्रि
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जल
जल
मनोज कर्ण
Agar padhne wala kabil ho ,
Agar padhne wala kabil ho ,
Sakshi Tripathi
फिर एक पलायन (पहाड़ी कहानी)
फिर एक पलायन (पहाड़ी कहानी)
श्याम सिंह बिष्ट
देखिए भी किस कदर हालात मेरे शहर में।
देखिए भी किस कदर हालात मेरे शहर में।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
तेरा ही नाम ले लेकर रोज़ इबादत करती हूँ,
तेरा ही नाम ले लेकर रोज़ इबादत करती हूँ,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
■ मुक्तक / सियासत पर
■ मुक्तक / सियासत पर
*Author प्रणय प्रभात*
"औरत”
Dr Meenu Poonia
Sometimes you shut up not
Sometimes you shut up not
Vandana maurya
*मुक्तक*
*मुक्तक*
LOVE KUMAR 'PRANAY'
शिवरात्रि
शिवरात्रि
Satish Srijan
क्यों मैं इतना बदल गया
क्यों मैं इतना बदल गया
gurudeenverma198
Loading...