बारिश के गुण गाओ जी (बाल कविता)
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बारिश के गुण गाओ जी (बाल कविता)
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छम-छम-छम-छम पानी बरसा, बारिश के गुण गाओ जी
गरमा- गरम पकौड़ी खट्टी, चटनी के सॅंग खाओ जी
यह कुदरत का अजब नजारा, देख-देख हर्षाओ जी
बरस रही बारिश को सुनते, शहनाई-सी जाओ जी
सोचो किसने रची धरा यह, नभ पानी बरसाते हैं
परमपिता वह निश्चित ही है ,उसको शीश झुकाओ जी
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रचयिताः रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा रामपुर
मोबाइल 99976 15451