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30 Jul 2016 · 1 min read

“बारिश की बूँद “

मैं बारिश की बूँद हूँ ,
मेघों से बिछड़ कर,
बिखर जाती हूँ ,
गगन से दूर
धरती पर छा जाती हूँ
किसी की तपन मिटाती हूँ ,
किसी की प्यास बुझाती हूँ,
दरिया को भी चाह मेरी,
सागर की हूँ उम्मीद,
खेतों का सपना हूँ
किसानों की हूँ संगीत,
हाँ ,मैं हूँ बारिश की बूँद,
कहीं खुशियाँ लेकर आती हूँ
कहीं प्रलय लेकर आती हूँ
क्या करूँ बारिश की बूँद हूँ
कभी टूट कर बरसती हूँ
कभी बरस कर बिखर जाती हूँ .
…निधि…

Language: Hindi
2 Comments · 1034 Views

Books from डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद"

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