Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Aug 2016 · 1 min read

बसंत है आया | अभिषेक कुमार अम्बर

कू-कू करती कोयल कहती
सर सर करती पवन है बहती।
फूलों पर भँवरें मंडराते
सब मिल गीत ख़ुशी के गाते।
सबको ही ये मौसम भाया
देखो देखो बसंत है आया।

पेड़ों पर बैरी पक आई
खेतों में फसले लहराई।
लदी हुईं फूलों से डाली
देख तितलियाँ हुई मतवाली।
भँवरों का भी मन मचलाया
देखो देखो बसंत है आया।

पड़े बाग़ बासंती झूले
बच्चे फिरते फूले फूले।
झूम झूमकर झूला झूलें
साँझ ढली घर जाना भूले।
सरपट सरपट दौड़े सारे
वायु का भी वेग लजाया।
देखो देखो बसंत है आया।

© अभिषेक कुमार अम्बर

Language: Hindi
417 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कौन ये कहता है यूं इश्क़ में नया ठिकाना चाहिए,
कौन ये कहता है यूं इश्क़ में नया ठिकाना चाहिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मिल गया तो मीठा-मीठा,
मिल गया तो मीठा-मीठा,
TAMANNA BILASPURI
मंजिल की तलाश में
मंजिल की तलाश में
Praveen Sain
बाल कविता : रेल
बाल कविता : रेल
Rajesh Kumar Arjun
दर जो आली-मकाम होता है
दर जो आली-मकाम होता है
Anis Shah
चमक..... जिंदगी
चमक..... जिंदगी
Neeraj Agarwal
सत्य साधना
सत्य साधना
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
मुफ़लिसों को मुस्कुराने दीजिए।
मुफ़लिसों को मुस्कुराने दीजिए।
सत्य कुमार प्रेमी
अजनबी !!!
अजनबी !!!
Shaily
सुर्ख चेहरा हो निगाहें भी शबाब हो जाए ।
सुर्ख चेहरा हो निगाहें भी शबाब हो जाए ।
Phool gufran
#आज_का_संदेश
#आज_का_संदेश
*प्रणय प्रभात*
रमेशराज के 2 मुक्तक
रमेशराज के 2 मुक्तक
कवि रमेशराज
"नया दौर"
Dr. Kishan tandon kranti
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मैं अपने सारे फ्रेंड्स सर्कल से कहना चाहूँगी...,
मैं अपने सारे फ्रेंड्स सर्कल से कहना चाहूँगी...,
Priya princess panwar
जीवन पर
जीवन पर
Dr fauzia Naseem shad
भीगी पलकें( कविता)
भीगी पलकें( कविता)
Monika Yadav (Rachina)
गुलाबी शहतूत से होंठ
गुलाबी शहतूत से होंठ
हिमांशु Kulshrestha
*कण-कण में तुम बसे हुए हो, दशरथनंदन राम (गीत)*
*कण-कण में तुम बसे हुए हो, दशरथनंदन राम (गीत)*
Ravi Prakash
Yes it hurts
Yes it hurts
पूर्वार्थ
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
Annu Gurjar
From dust to diamond.
From dust to diamond.
Manisha Manjari
वक़्त
वक़्त
विजय कुमार अग्रवाल
मैं हू बेटा तेरा तूही माँ है मेरी
मैं हू बेटा तेरा तूही माँ है मेरी
Basant Bhagawan Roy
शहीदों को नमन
शहीदों को नमन
Dinesh Kumar Gangwar
गृहस्थ के राम
गृहस्थ के राम
Sanjay ' शून्य'
******आधे - अधूरे ख्वाब*****
******आधे - अधूरे ख्वाब*****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
23/211. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/211. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
" परदेशी पिया "
Pushpraj Anant
Loading...