“बच्चों की दुनिया”
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“बच्चों की दुनिया”
दुनिया बच्चों की बड़ी निराली
मस्त रहते हैं सारा सारा दिन
घर की सारी उथल पुथल करते
व्यस्त रहते हैं सारा सारा दिन,
मन मसोस कर पढ़ने बैठ जाते
जब हो जाती शैतानियां ख़तम
गुल्लक भरने को पैसे मांगते
खुले सिक्के लगते मोटी रकम,
खिलखिलाते लगते बहुत प्यारे
ऊंचा नीचा कुछ नहीं समझते
खेल खेलते कभी लड़ते झगड़ते
चंचलता से घर आंगन में भागते,
मम्मी खाना दो भूख लगी है तेज
मन में आए तभी चिल्लाने लगते
पापा हमारे लिए खिलौने लाना
कह कर ये मदहोश हो कर घूमते।