प्ले स्कूल हमारा (बाल कविता )
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प्ले स्कूल हमारा (बाल कविता )
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एक बार आकर तो देखो
प्ले स्कूल हमारा ,
रोज चलाते इसमें गाड़ी
लगता कितना प्यारा।।
रंग- बिरंगी दीवारें हैं
रहती साफ- सफाई,
खेल- खेल में जाने कब
हो जाती रोज पढ़ाई ।।
कमरे में शीशे से झॉंको
बंदर हाथी घोड़ा,
प्लास्टिक की कुर्सी लगती है
एक खिलौना थोड़ा।।
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451