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8 Nov 2016 · 1 min read

प्रेम (3)

कितना ज़रूरी है,
किसी कली को
पनपने के लिए,
किसी और कली
का फूल बनना ,
फिर मुरझाना और
फिर डाली से
विलग होकर
भूमि पर गिर,
नष्ट कर देना
अपना समूचा अस्तित्व ?
क्या ? कभी
किसी ने भी
सोचा है,तनिक भी
गहराई से कि-
इस समूची प्रक्रिया में,
कितनी करूणा है ?
कितना प्रेम है. ?
-ईश्वर दयाल गोस्वामी ।
कवि एवं शिक्षक।

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 1424 Views
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