प्यार नहीं तो कुछ नहीं

तुमको किसी से
किसी से तुमको
अगर प्यार नहीं तो
कुछ नहीं
सब कुछ है मगर
इस दुनिया में
एक यार नहीं
तो कुछ नहीं…
(१)
कभी खिड़की से
कभी छत से
कभी द्वार से
कभी सड़क से
किसी से किया
अपनी आंखों को
तुमने चार नहीं तो
कुछ नहीं…
(२)
कभी चिलमन से
कभी परदे से
कभी घुंघट से
कभी झुरमुट से
किसी ने किया
छुपके तुम्हारा
दीदार नहीं तो
कुछ नहीं….
(३)
कभी चिट्ठी से
कभी फ़ोन से
कभी इशारे से
कभी ज़ुबान से
किसी से किया
तुमने जज़्बों का
इज़हार नहीं तो
कुछ नहीं…
(४)
कभी घर पर
आधी रात में
कभी शाम को
किसी बाग में
किसी को
तुम्हारे आने का
इंतज़ार नहीं तो
कुछ नहीं…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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