प्यार का रिश्ता
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/7436bb26d58b3b6155bdc1ce6040afa5_f4aab5819e8c36b8303f0944ed369fc5_600.jpg)
हम देखते हैं ख्वाब भी
वो उसमें भी नुख्स निकाल लेते हैं
कुछ और सुनने से पहले
फिर हम अपनी गलती मान लेते हैं
आते नहीं है मिलने खुद
इल्ज़ाम वो हम पर डाल देते हैं
कुछ कहने से पहले हम
उनका मिजाज़ जान लेते हैं
जानते हैं वो प्यार मेरा
फिर भी कभी डोरे डाल देते हैं
यही तो मज़ा है इश्क़ का
हम भी कभी भाव खा लेते हैं
है मन में थोड़ी उदासी आज
हम पल भर में जान लेते हैं
लाख छुपाए वो मुझसे यारों
हम चेहरा देखकर जान लेते हैं
कब क्या सोचता है वो
अब तो हम ये भी जान लेते हैं
दर्द जो भी होता है उसे
अपने दिल में महसूस कर लेते हैं
होती है जो भी नोक झोंक
हम उसे भी प्यार से सुलझा लेते हैं
जानते हैं पतंग हैं हम इस खेल में
फिर भी कभी खुद को मांझी मान लेते हैं
है मनुष्य गलतियों का पुतला
ये कहकर उनसे माफी मांग लेते हैं
जब करता है वो गुस्सा कभी
हम खुद को ही पुतला मान लेते हैं
है यही तो मज़ा इस रिश्ते का
डांट को भी इसमें हम प्यार मान जाते हैं
हो अगर प्यार सच्चा यारों
महबूब के आंसुओं को भी मोती मान जाते हैं।