पुनर्जागरण काल
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ये पावन पुनीत अमृत वेला है
जो पी रहा रस हो अलवेला है
हर तरफ एक ही गूंज गूंज रही
जय जय हो बस यही धूम रही
महक रहा अध्यात्म धर्म के संग है
चहक रहा समय करम के रंग है
देखो प्रजा में कैसा उल्लास है
झूम रहा धरती संग आकाश है
ये पुनरुत्थान का समय आया है
भक्ति प्रेम का अलख जगाया है
हे ईश्वर पूर्ण परमेश्वर जागे हर चेतना
हो नाम तुम्हारा भू सकल यही प्रार्थना