Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Apr 2024 · 2 min read

पिछले पन्ने 3

गाॅंव का स्कूल घर से पैदल पाॅंच मिनट की दूरी पर था। वैसे तो स्कूल का समय सुबह दस बजे से चार बजे तक था, पर गर्मियों के दिनों में मॉर्निंग स्कूल होता था। डे स्कूल में हम लोग एक बजे टिफिन में खाना खाने के लिए घर ही आ जाते थे और फिर खाना खाकर स्कूल वापस जाते।उस समय स्कूल में छात्रों के लिए मध्यान भोजन की व्यवस्था नहीं थी। स्कूल के एक मास्टर साहब हम लोगों को पढ़ाने के लिए दरवाजे पर रहते थे। उन्हीं की देख रेख में हम लोग स्कूल से आया जाया करते थे। उस समय अकारण स्कूल से अनुपस्थित रहने की स्थिति में स्कूल से दो-तीन लड़के को अनुपस्थित लड़का को स्कूल लाने के लिए उसके घर पर भेजा जाता था। क्लास के कुछ लड़के घर से अनुपस्थित लड़कों को स्कूल लाने में महारत हासिल किए हुए था। दूसरे लड़कों की पढ़ाई के पीछे जागरूक रहने वाले ऐसे लड़कों का वार्षिक परीक्षा फल प्रायः उदासीन करने वाला रहता था। माॅर्निंग स्कूल में टिफिन नहीं होता था। सुबह एक बार जाते तो छुट्टी होने के बाद ही ग्यारह बजे वापस आते। डे स्कूल में टिफिन में आने जाने का अपना एक अलग मजा था। खासकर कृष्णाष्टमी, दुर्गा पूजा और काली पूजा के समय मंदिर में बन रही मूर्तियों को निहारना और किए गए कार्यों की समीक्षा करना हमलोगों का मुख्य कार्य होता था। गुस्सैल स्वभाव का स्वामी था मूर्ति कलाकार अमलू, जिनका हम बच्चों को मूर्ति के पास देखते ही पारा चढ़ जाता था और चिल्ला चिल्लाकर मूर्ति से दूर रहने के लिए कहता था। हम बच्चे मन ही मन उसको खूब कोसते और सोचते,काश मूर्ति की उंगली और नाक टूट जाए,लेकिन उसके सामने एकदम भोला बनकर रहते, जिससे मूर्त्ति देखने में उसकी डांट कभी नहीं सुननी पड़े।

Language: Hindi
254 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Paras Nath Jha
View all

You may also like these posts

नीली बदरिया में चांद निकलता है,
नीली बदरिया में चांद निकलता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तू याद कर
तू याद कर
Shekhar Chandra Mitra
धनुष वर्ण पिरामिड
धनुष वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
4082.💐 *पूर्णिका* 💐
4082.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मुखोटा
मुखोटा
MUSKAAN YADAV
कितना कुछ बाकी था
कितना कुछ बाकी था
Chitra Bisht
ये शिकवे भी तो, मुक़द्दर वाले हीं कर पाते हैं,
ये शिकवे भी तो, मुक़द्दर वाले हीं कर पाते हैं,
Manisha Manjari
बचपन
बचपन
ललकार भारद्वाज
इंसान
इंसान
krupa Kadam
आज़ाद हूं मैं
आज़ाद हूं मैं
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
#आधार छंद : रजनी छंद
#आधार छंद : रजनी छंद
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
जिंदगी से जिंदगी को ,
जिंदगी से जिंदगी को ,
रुपेश कुमार
*सुनो माँ*
*सुनो माँ*
sudhir kumar
चंद्रयान
चंद्रयान
Meera Thakur
इश्क
इश्क
Radha Bablu mishra
*पूजो भारतवर्ष जहॉं पर, मिला-जुला परिवार है (गीत)*
*पूजो भारतवर्ष जहॉं पर, मिला-जुला परिवार है (गीत)*
Ravi Prakash
घनाक्षरी
घनाक्षरी
seema sharma
मेरा भारत
मेरा भारत
Rajesh Kumar Kaurav
प्रकृति का भविष्य
प्रकृति का भविष्य
Bindesh kumar jha
पुरुष विमर्श
पुरुष विमर्श
Indu Singh
पिछले महीने तक
पिछले महीने तक
*प्रणय प्रभात*
"मानुष "
Shakuntla Agarwal
नवजीवन
नवजीवन
Deepesh Dwivedi
"शायद "
Dr. Kishan tandon kranti
इस धरा को
इस धरा को
surenderpal vaidya
दिल का गुस्सा
दिल का गुस्सा
Madhu Shah
मज़ाक का सहारा लेकर,
मज़ाक का सहारा लेकर,
Iamalpu9492
शक्ति स्वरूपा कन्या
शक्ति स्वरूपा कन्या
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
यमुना के तीर पर
यमुना के तीर पर
श्रीहर्ष आचार्य
Loading...