*पिचकारी लेने गया, जंगल में जब शेर (कुंडलिया)*
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पिचकारी लेने गया, जंगल में जब शेर (कुंडलिया)
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पिचकारी लेने गया, जंगल में जब शेर
दाम सुने तो हो गए, शेरु दादा ढेर
शेरु दादा ढेर, बुलाए हाथी दादा
पिचकारी के दाम, कहा हैं बेहद ज्यादा
कहते रवि कविराय, सूॅंड है गजब तुम्हारी
खूब चलेगी धार, यही बनकर पिचकारी
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451