अंतर्राष्ट्रीय पाई दिवस पर….

चकरी टोपी गेंद सब, कितने संयत गोल।
बिन पाई संभव कहाँ, ढपली ढोलक ढोल।।
शंकु बेलन वृत्त घन, होता सबमें झोल।
बिन पाई कब जानते, धरा नखत हैं गोल।।
-© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
चकरी टोपी गेंद सब, कितने संयत गोल।
बिन पाई संभव कहाँ, ढपली ढोलक ढोल।।
शंकु बेलन वृत्त घन, होता सबमें झोल।
बिन पाई कब जानते, धरा नखत हैं गोल।।
-© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद