पल का मलाल
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अक्सर,
कहने वाले को,
बेहद ,
जल्दबाजी होती है
अपनी बात ,
कह देने की
और,
सुनने वाले का
तो क्या ही,
कहें।
उसको भी
कम जल्दी नहीं,
बोलने वाले
को
अपनी
चटपट
प्रतिक्रिया देने की ।
मगर, उस पल की,
किसने सोची,
उस पल की
फितरत कुछ
अलग ही होती है ।
उस पल को
मलाल होता है,
कि,
भावों को,
परस्पर,
सोखा नहीं गया।
पल को मलाल होता है,
बात का मर्म
छूट कर
गिर जाने का।
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पूनम पांडे, अजमेर