पर्यावरण की रक्षार्थ वृक्ष लगाएं निस्वार्थ
एक अनंत असीम अपार ब्रह्मांड अपरिमित तारामंडल के कोटि कोटि सूर्य और प्रत्येक सूर्य के अपनी अपनी ग्रह उपग्रह रूपी धर्तियाँ । समस्त अखिल ब्रह्मांड में श्रेष्ठ है हमारी वसुधा। इसकी श्रेष्ठता और अनुपम अद्वितीय होने के पीछे एक ही तथ्य मौजूद है और वह है इस पृथ्वी पर जादुई शक्तियों से सम्पन्न चमत्कारिक पर्यावरण का होना। प्रत्येक ग्रह उपग्रह के चारों विभिन्न प्रकार की गैसों का आवरण होता है जिसे हम उस ग्रह अथवा उपग्रह का परिमंडल अथवा पर्यावरण कहते हैं। संपूर्ण ब्रह्मांड में एकमात्र ग्रह पृथ्वी ही है जिसके पर्यावरण में
“भूमि वायु अग्नि नभ नीरा।
पंचतत्व भगवान शरीरा।।
मौजूद है और जहां ईश्वर का अस्तित्व है वहां जीव जगत की माया सृष्टि के कण कण में दृष्टिगोचर होती है। हम अखिल ब्रम्हांड के सर्वाधिक भाग्यशाली जीव हैं जो इस पुण्य धरा पर जन्म लिया। हमारा जीवन हमारी प्रत्येक गतिविधि के लिए हमारा पर्यावरण जिम्मेदार होता है। अगर हमारे चारों ओर का पर्यावरण स्वच्छ एवं स्वस्थ है, तो हम और हमारा शरीर मन और स्वास्थ भी स्वस्थ एवं तंदुरुस्त रहेंगे और हमारा पर्यावरण यदि प्रदूषित होता है तो न केवल हमारा स्वास्थ्य शरीर कमजोर होगा अपितु आने वाली पीढ़ियां और उनका जीवन भी नारकीय होगा।
आजके प्रगतिशील युग में जहां मानव नित्य प्रति अभेद्य शिखर आयामों को छू रहा है। वह आधुनिकता की अंधी दौड़ में ईट पत्थर के पहाड़ आए दिन खड़े कर रहा है जंगलों को नष्ट करके। वह लाखों किलोमीटर दूरियां पल भर में तय कर रहा है स्वच्छ और अविरल अनंत आसमान में तैरने वाली पक्षियों को पीछे छोड़कर। वह नित्यप्रति अकल्पनीय गति से नव निर्माण नव मशीनें और कृषि में अत्याधिक पैदावार क्षमता विकसित कर रहा है, पर्यावरण को नष्ट करके उसकी अवहेलना करके। जल की अवहेलना कर उसे नष्ट कर रखा है जो जीवन की प्रथम इकाई है। वायु में अंधाधुंध कल कारखाने वाहन और अपरिमित रासायनिक खाद्य उर्वरकों और दवाओं का प्रयोग करते जहर खुल रहा है। पृथ्वी के सुरक्षा कवच ओजोन परत को नष्ट कर रहा है आसमान का सीना फाड़ कर। अत्याधुनिक चकाचौंध से सूर्य के अस्तित्व को चुनौती दे रहा है। इस उपजाऊ भूमि को बंजर करने की जिद लिए बैठा है। अपने आज को संभालने के लिए अपनी आने वाली पीढ़ियों को जहर विरासत में देने की तैयारी कर रहा है आज का यह इंसान। जरूरत है हमें आज अभी इसी क्षण जागृत होने की पृथ्वी के परिमंडल को बचाने की इसके संरक्षण और संवर्धन की तो आइए-
विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष में हम समस्त कल्पतरु परिजन मिलकर एक शपथ लेते हैं कि पृथ्वी के परिमंडल में मौजूद इन पांच तत्वों की रक्षा करने वाले शिव स्वरूप वृक्षों के उपासक बनेंगे जो इस पर्यावरण को सुरक्षित व संरक्षित रखने वाले हैं।
“आओ हम सब वृक्ष लगाएं।
मां वसुधा को स्वर्ग बनाएं।।”
✍?अरविन्द राजपूत ‘कल्प’