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9 Feb 2017 · 1 min read

पतझड़ से बहार

तेरे प्यार की कस्ती में सवार हो चली हूँ में
पतझड़ सी थी में अब बहार हो चली हूँ में

एक नजर जो डाली मुझपर
छाई अजब सी लाली मुझपर
बेरंग सी थी मैं अब रंगदार हो चली हूँ मे।
पतझड़ सी__________।

पावन हुई मै छु कर तुझको
तेरी खुशबू गई है छु कर मुझको
नीरस सी थी मै अब रसदार हो चली हूँ म।
पतधड़ सी___________।

कनखी से वो देखे मुझको
लाज न आए देखो उसको
नजर मिलते ही शर्मशार हो चली हूँ मै।
पतझड़ सी____________।

Language: Hindi
Tag: कविता
303 Views
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