न शायर हूँ, न ही गायक,
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न शायर हूँ, न ही गायक,
न ही संगीत की मुझे परख।
न हूँ कोई कवि लोक प्रिय,
साहित्य सार की नहीं समझ।
कुछ बिखरे अक्षर मामूली,
बस यूँ ही क्रम में सजाता हूँ।
संकोच रहा इस कारण से,
महफ़िल में गीत नहीं गाता हूँ।
सतीश सृजन
न शायर हूँ, न ही गायक,
न ही संगीत की मुझे परख।
न हूँ कोई कवि लोक प्रिय,
साहित्य सार की नहीं समझ।
कुछ बिखरे अक्षर मामूली,
बस यूँ ही क्रम में सजाता हूँ।
संकोच रहा इस कारण से,
महफ़िल में गीत नहीं गाता हूँ।
सतीश सृजन