Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Feb 2017 · 1 min read

नोटबंदी साठा-1

(1)
नव विहान होने लगा है,
पंक्तियाँ सिमटने लगी हैं,
देश शीघ्र ही कैशलेस हो जायेगा,
देश अचानक शिक्षित हो जायेगा,
कुदाल फावड़े पकड़ने वाले हाथ
अब माउस पर होंगे
देश का विकास शब्दावलियों,
नारों,
और अचानक उग आये
बिना बीज के पौधों
से होने लगा है.
(2)
राजनीतिक दलों द्वारा जमा धन पर
कोई नहीं टैक्स,
न होगी पूछ-ताछ
यह हम हैं,
और यह मेरा देश,
देखो हम कैसे बदलते हैं भेष.
हम भुनाते हैं-
आम आदमी की भावनाओं को
और फैला देते हैं क्लेश.
धन्य है
यह अदृश्य भाईचारा,
हे देशभक्तों –
कब समझोगे
कब तोड़ोगे
कारा.
(3)
कुकुरमुत्ते भी
अब हरे हो गए हैं,
खेतों में
संचार क्रांति ने दस्तक दे दी है,
पौधों में
भांति-भांति के रिंगटोन बजने लगे हैं,
किसान,
सचमुच कैशलेस हो गए हैं.

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 426 Views

Books from डा. सूर्यनारायण पाण्डेय

You may also like:
गुरुवर बहुत उपकार है
गुरुवर बहुत उपकार है
Ravi Yadav
मिट्टी को छोड़कर जाने लगा है
मिट्टी को छोड़कर जाने लगा है
कवि दीपक बवेजा
ख्वाहिशों का अम्बार
ख्वाहिशों का अम्बार
Satish Srijan
मुक्ति
मुक्ति
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
201…. देवी स्तुति (पंचचामर छंद)
201…. देवी स्तुति (पंचचामर छंद)
Rambali Mishra
अब तक मैं
अब तक मैं
gurudeenverma198
The Moon!
The Moon!
Buddha Prakash
✍️घुसमट✍️
✍️घुसमट✍️
'अशांत' शेखर
पिता का आशीष
पिता का आशीष
Prabhudayal Raniwal
क्यूं कर हुई हमें मुहब्बत , हमें नहीं मालूम
क्यूं कर हुई हमें मुहब्बत , हमें नहीं मालूम
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*गाता है शरद वाली पूनम की रात नभ (घनाक्षरी: सिंह विलोकित छंद)*
*गाता है शरद वाली पूनम की रात नभ (घनाक्षरी: सिंह...
Ravi Prakash
जन जागरण के लिए
जन जागरण के लिए
Shekhar Chandra Mitra
ढूंढता हूँ उसे मैं मगर मिल नहीं पाता हूँ
ढूंढता हूँ उसे मैं मगर मिल नहीं पाता हूँ
VINOD KUMAR CHAUHAN
है कौन सही है गलत क्या रक्खा इस नादानी में,
है कौन सही है गलत क्या रक्खा इस नादानी में,
कवि गोपाल पाठक''कृष्णा''
"रंग वही लगाओ रे"
Dr. Kishan tandon kranti
रावण, परशुराम और सीता स्वयंवर
रावण, परशुराम और सीता स्वयंवर
AJAY AMITABH SUMAN
#गणतंत्र दिवस#
#गणतंत्र दिवस#
rubichetanshukla रुबी चेतन शुक्ला
🚩एकांत महान
🚩एकांत महान
Pt. Brajesh Kumar Nayak
■ खरी-खरी / प्रसंगवश
■ खरी-खरी / प्रसंगवश
*Author प्रणय प्रभात*
सिला नहीं मिलता
सिला नहीं मिलता
Dr fauzia Naseem shad
*जीवन जीने की कला*
*जीवन जीने की कला*
Shashi kala vyas
💐💐ज्ञानस्य अभिमानं नरकेषु प्रवेशक:💐💐
💐💐ज्ञानस्य अभिमानं नरकेषु प्रवेशक:💐💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कहीं कोई भगवान नहीं है//वियोगगीत
कहीं कोई भगवान नहीं है//वियोगगीत
Shiva Awasthi
विचार मंच भाग -8
विचार मंच भाग -8
Rohit Kaushik
रिश्ते
रिश्ते
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
शायरी
शायरी
श्याम सिंह बिष्ट
ग़ज़ल। आदमी बिसर जाएगा
ग़ज़ल। आदमी बिसर जाएगा
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
✍️दूरियाँ वो भी सहता है ✍️
✍️दूरियाँ वो भी सहता है ✍️
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
सरस्वती आरती
सरस्वती आरती
संजीव शुक्ल 'सचिन'
Book of the day- कुछ ख़त मोहब्बत के (गीत ग़ज़ल संग्रह)
Book of the day- कुछ ख़त मोहब्बत के (गीत ग़ज़ल...
Sahityapedia
Loading...