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11 Nov 2016 · 1 min read

नारी

औरत ने जन्म दिया मर्द को,कभी किया न अभिमान
मर्द ने जाने कब जन्मा ,मर्द होने का भान

जन्मा,सींचा रक्त से अपने,दिखाया ये संसार
उसी को मसला, कुचला और बना दिया लाचार

जो रखती है कोख में,भरे नसो मे लहू को
उसी नारी को दोयम दर्जा,चाहे पत्नी, बेटी,बहू हो

करो तप चाहे जितने कठिन,नही होगा उद्दार
जब तक चीखोगे मर्द तुम,औरत नर्क का द्दार

इस जगत मे किसी को भी नही प्राप्त अमरत्व
तू है तब तक,जब तक है कायम ,नारी नाम का तत्व

Language: Hindi
Tag: कविता
353 Views
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