नायक
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तमाम मुश्किलों में घिरा हो पर
स्वयं का साहस नहीं डिगता ।
जो धर धीर सब स्वीकार ले
भला तूफान उसके सामने
फिर कब कहाँ टिकता ?
जो खुद के हौंसलों से नित
स्वयं तकदीर लिखता है ।
स्वयं आघात सब सहकर
सभी की ओट बनता है ।
तजे न जो कभी सत् पथ
प्रेम और शील में हो रत ।
है नायक वो ही जगती में
जो करता जीवन चंदन है।