नहीं आती कुछ भी समझ में तेरी कहानी जिंदगी
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नहीं आती कुछ भी समझ में, तेरी कहानी जिंदगी।
अबूझ एक पहेली है, सबके लिए तू जिंदगी।।
नहीं आती कुछ भी समझ में———————–।।
रहती है बचपन में तू , नादान और बेखबर।
हो जाती है गुमनाम तू , जवानी में जिंदगी।।
नहीं आती कुछ भी समझ में——————।।
संवार देती है तकदीर को, तू बेनसीबों की।
बना देती है मुफ़लिस तू , अमीरों की जिंदगी।।
नहीं आती कुछ भी समझ में——————।।
ख्वाब बुनता है आदमी, खुश रखने को तुम्हें सदा।
लेकिन सबसे हटकर है, तेरी चाहत जिंदगी।।
नहीं आती कुछ भी समझ में——————।।
किसी का नहीं छोड़े साथ, तू निभाये अपनी वफ़ा।
छोड़ जाती है रुलाकर सभी को, अंत में तू जिंदगी।।
नहीं आती कुछ भी समझ में——————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)