******” दो घड़ी बैठ मेरे पास ******
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******” दो घड़ी बैठ मेरे पास ******
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दो घड़ी बैठ जरा पास कुछ बात करें।
रुक ना जाए कहीं सांस कुछ बात करें।
कुछ भरोसा ना रहा दम आये ना आये,
तुम से ही है एक आस कुछ बात करें।
यूं सिवा तेरे कभी झाँका है बाहर नहीं,
जिंदगी में हो तुम खास कुछ बात करें।
दिलों से कभी हमें खेलना आया नहीं,
बिखर गई है पुरी ताश कुछ बात करें।
बेवजह उलझन मे उलझा है मनसीरत,
आया है मौसम ना रास कुछ बात करें।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)