दोहे-
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दोहे-
बदले हुए निजाम में,बदला नहीं समाज।
चूल्हा ठंडा पूर्ववत, हर गरीब का आज।।1
—
शेष बची है पास में,बस यादों की छाँव।
चलना मुश्किल हो रहा,जलते रहते पाँव।।2
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
दोहे-
बदले हुए निजाम में,बदला नहीं समाज।
चूल्हा ठंडा पूर्ववत, हर गरीब का आज।।1
—
शेष बची है पास में,बस यादों की छाँव।
चलना मुश्किल हो रहा,जलते रहते पाँव।।2
डाॅ. बिपिन पाण्डेय