देखो भालू आया
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देखो देखो भालू आया,
मदारी ने नाच नचाया।
भालू ने ऐसा नाच दिखाया,
मेरे मन को खूब भाया।
मन करता कि इसके साथ,
हम भी भालू बन जाऊं।
मटक मटक नाचते हम,
सबको रोज इठलाऊं।
अजब तमाशा भालू का,
कैसा नाच दिखाता।
मदारी के इशारे पर,
खूब अपने इठलाता।
देखो मुनिया बच्ची तुम,
घर पर मत जाना।
मेरे साथ मदारी के,
नाच कर बताना।
अनिल “आदर्श”