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31 Dec 2022 · 1 min read

दिसम्बर की रातों ने बदल दिया कैलेंडर /लवकुश यादव “अज़ल”

दिसम्बर की रातों ने बदल दिया कैलेंडर,
यार फिर अब तो जनवरी भी जान लेगी।
भरोसा क्या करें हम माह-ए-फरवरी का,
महबूबा तो उसमें भी फिर इम्तेहान लेगी।।

जान जाए न जाए अज़ल इस माह आपकी,
अगली राते वो फिर कहीं और काट लेगी।
जन्नत की खुशियों में है एक बाग आपका,
उस बाग को बेवफ़ा फिर से उजाड़ देगी।।

कई खुशियों का दामन घोट कर आ पहुंचे हो,
नींद रातों की चैन आपका हराम कर देगी।
मुश्किल भरी राहें हैं प्रिय मान लो बात को,
मोहब्बत ही आपको अज़ल बर्बाद कर देगी।।

सर्दियों के दिन में काम रजाई आएगी आपके,
दिल पेट भरने की आखिरी दवा नहीं होगी।
न जियो तुम भ्रम में माह ए दिसम्बर की रात,
आएगी जनवरी और तुम्हारी हस्ती मिटा देगी।।

😍Wish you very special Happy New Year
You All And Your family😍

लवकुश यादव “अज़ल”
अमेठी, उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
Tag: ग़ज़ल
3 Likes · 47 Views
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