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27 Jan 2024 · 1 min read

दिव्य-दोहे

मानव तू पगला गया , डारे प्रभु में प्राण ।
पत्थर भी क्या बोलि हैं,जनता चाहि प्रमाण।।

,——–24-01-2024
——————————————————-
भारत बहुत महान है, जड़ में डारै प्रान ।
जीवित कौ भक्षण करै,हनकि निकारै प्रान।।

——— 27/01/2024
—————————————————-
पचपन की चुस्की मिलै,खूब फलो व्यापार ।
जीते जी दर्शन करौ , स्वर्ग जहाँ साकार।।

,,,,,, 27/01/2924
—————————————————–
नर्क मिलै बिन खर्च के,स्वर्ग कीमती चीज ।
दर्शन भर से बो दिये , स्वर्ग प्राप्ति के बीज ।।

———- 27 /01/2924
—————————————————–
प्राण-प्रतिष्ठा वो विधा, बोलन लागै शैल ।
सव कुछ अर्पन जौ भया,रूपांतरित हो मैल।।

—————— 27/01/2024
——————————————————-
अहमक नहीं तो और क्या ,मानव तेरा दंभ ।
ना तेरे बश अंत है , ना बश में आरम्भ।।

—-‐–‐————- 27/01/2024
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सृष्टी के कण-कण बसै, न्यूट्राॅन औ प्रोटाॅन ।
किंतु सन्तुलित ही करे ,नेता बन इलैक्ट्राॅन ।।

——————- 27/02024
—————————————————-
मौलिक-चिंतन/स्वरूप दिनकर
आखरा

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