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14 Oct 2022 · 1 min read

दिल बहलाएँ हम

ग़ज़ल

खाली जाम से कब तक यूँ ही अपना दिल बहलाएंँ हम
ऐसे आलम में बतलाओ कैसे उठ कर जाएँ हम ।

कट जायेगा सारा रस्ता मंज़िल भी मिल जायेगी
आओ मिलकर ऐ हमराही प्यार का नगमा गाएँ हम ।

देखो मौसम ने बख़्शी है कैसी यह रंगीन फ़िज़ा
इसके आँचल में आकर अब ग़म को दूर भगाएंँ हम

पल में मीठी बात करे हैं पल में आँख तरेरे ये
देख के दुनिया वालों की इस रंगत से घबराएँ हम ।

मायूसी ही हाथ लगी है सुधा हमको बाजारों में
मँहगी है हर चीज़ यहाँ अब क्या त्यौहार मनाएँ हम ।।

डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
वाराणसी©®

Language: Hindi
2 Likes · 90 Views

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