*दासता जीता रहा यह, देश निज को पा गया (मुक्तक)*
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दासता जीता रहा यह, देश निज को पा गया (मुक्तक)
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दासता जीता रहा यह, देश निज को पा गया
पॉंच सदियों बाद क्षण फिर, स्वाभिमानी छा गया
लौट कर जब आ गए प्रभु, राम जी वनवास से
हॅंस पड़ी सूनी अयोध्या, मुस्कुराना आ गया
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451