तुम नि:शब्द साग़र से हो ,
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तुम नि:शब्द साग़र से हो ,
मैं निनाद करती हुईं सरिता|
तुम सुनामी की लहरों के संग,
मैं कल-कल, छल-छल निनदो के संग||
तुम में कितनी ही तरंगमलाये आ जाये,
तुम नि:शब्द सागर से हो…………..||
तुम नि:शब्द साग़र से हो ,
मैं निनाद करती हुईं सरिता|
तुम सुनामी की लहरों के संग,
मैं कल-कल, छल-छल निनदो के संग||
तुम में कितनी ही तरंगमलाये आ जाये,
तुम नि:शब्द सागर से हो…………..||