संवेदनाएं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ख़ुशबू आ रही है मेरे हाथों से
*हम बीते युग के सिक्के (गीत)*
छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
दुनिया वाले कहते अब दीवाने हैं..!!
मस्तियाँ दे शौक़ दे माहौल भी दे ज़िन्दगी,
जिसको ढूँढा किए तसव्वुर में
यादों के बादल
Kunwar kunwar sarvendra vikram singh
भीख में मिले हुए प्यार का
हर मोड़ पे उन का हमारा सामना होने लगा - संदीप ठाकुर
जब रिश्तें बोझ बनने लगें:परिवार की बदलती परिभाषा
"रक्त उज्जवला स्त्री एवं उसके हार"