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19 Dec 2020 · 1 min read

ठण्डी दोहा एकादशी

ठण्डी में पारा गिरा, पहुँचा एक इकाय
बैठ रजाई सोचते, कौनो नहीं उपाय // 1. //

ठण्डी का है तोड़ यह, जप ॐ नमो शिवाय
अग्नि देव की शरण ले, उत्तम यही उपाय // 2. //

भोग रही है ठण्ड में, निर्धनता अभिशाप
जड़े तमाचा सेठ जी, बोले रस्ता नाप // 3. //

ए.सी. हीटर छोड़कर, नेता बाहर देख
खींच रहे हैं ठण्ड में, निर्धनता की रेख // 4. //

कितने मारे ठण्ड ने, मेरे शम्भूनाथ
उत्तर सभ्य समाज से, मांग रहा फुटपाथ // 5. //

शीत लहर चलने लगी, मरे ठिठुरते लोग
धनवान मौज से करे, सारे छप्पन भोग // 6. //

घीसू माधव सड़क पर, आग रहे हैं ताप
प्रेमचन्द के पात्र हम, भोग रहे सन्ताप // 7. //

प्रेमचन्द के पात्र बन, उतरे सभी किसान
सर्द सड़क सिकुड़ा पड़ा, होरी का गोदान // 8. //

गर्मी में लू से मरे, मरे शीत से लोग
बारिश मारे बाढ़ में, विचित्र विधि संजोग // 9. //

आया मौसम ठण्ड का, सुन्दर लागे धूप
गरमी का जब वेग था, लागे धूप कुरूप // 10. //

स्नान करे जो ठण्ड में, वो जन बड़े महान
ठण्डा पानी काल सम, हर ले तुरन्त प्रान // 11. //

•••

Language: Hindi
Tag: दोहा
4 Likes · 5 Comments · 289 Views

Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali

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