टाँगतोड़ ग़ज़ल / MUSAFIR BAITHA
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यह बात जुदा है
वह तेरा खुदा है
जिस बंदे ने खुदा को खड़ा किया
वह ही सदा सदियों से बना खुद खुदा है
तू नास्तिक है नाम का
तेरे मस्तक पर खुदा ख़ुदा है।
खुदा है भरमदाई आसरा लोभ पाप से बना
जो राही इस राह का चेहरे पर उसके डर खुदा है
खुद में जो न हो दम तो खुदा सूझै है
दम हो गर खुदी में तो टाटाबायबाय खुदा है
डर ‘मुसाफ़िर’ जरूर जिससे डर लगे मगर
हरगिज न पालना वहम कि तेरा कोई खुदा है