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20 Jul 2016 · 1 min read

झूला

*मुक्तक*
झूलती सखियाँ सयानी, गा रहीं मल्हार।
प्रेम के इस राग में भर, व्यक्त करतीं प्यार।
यौवनांगा है नवल प्रिय, से प्रणय की आस।
मौसमी अब प्रेम की रह-, रह गिरें बौछार।
अंकित शर्मा ‘इषुप्रिय’
रामपुर कलाँ,सबलगढ(म.प्र.)

Language: Hindi
Tag: मुक्तक
294 Views

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