जैसे जैसे उम्र गुज़रे / ज़िन्दगी का रंग उतरे
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जैसे जैसे उम्र गुज़रे / ज़िन्दगी का रंग उतरे
सोचता रहता हूँ तन्हा / मुझमें भीतर कौन बिखरे
साथ बहते आँसुओं में / खून के हैं चन्द कतरे
मन का पंछी चाहे उड़ना / पर दुखों ने पंख कुतरे
थक गया हूँ सहते सहते / ज़िन्दगी में तेरे नखरे
नष्ट होते इस जहां में / कौन कब तक यार ठहरे
महावीर उत्तरांचली