जीवन
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वह जीवन धीरे- धीरे मृत हो जाता है
जो यात्राओं से विमुख हो
संगीत से विहीन हो
प्रेम से अनभिज्ञ हो
पढे नहीं
एकांत को ना जिए
और जिसमें स्वयं को जानने की
जिज्ञासा ना जागे !!
-मोनिका
वह जीवन धीरे- धीरे मृत हो जाता है
जो यात्राओं से विमुख हो
संगीत से विहीन हो
प्रेम से अनभिज्ञ हो
पढे नहीं
एकांत को ना जिए
और जिसमें स्वयं को जानने की
जिज्ञासा ना जागे !!
-मोनिका