Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Feb 2024 · 1 min read

जिन्दगी की शाम

बचपन साथ रखिएगा,जिन्दगी की शाम मे!
उम्र महसूस ही नही होगी,सफर के मुकाम मे!!
इसीलिए बचपन के शौक पाले हर काम मे!
रोज़ कसरत और दौडना ज़रुरी इस पैगाम मे’!!
मेरा मुस्तकिल कभी कोई ठिकाना कब रहा?
पर दोस्तो संग महफिल सजाता हू हर शाम मे!!
कोई न कोई हुनर गाना-बजाना साथ रखिए,
काम मे मशगूल रहिए ,सजाए महफिल शाम मे!!
समय चुटकी बजाते कट जाएगा पूजा-पाठ मे,
वैतरणी पार करने को मन लगा कृष्ण और राम मे!!

सर्वाधिकार सुरछित मौलिक रचना
बोधिसत्व कस्तूरिया एडवोकेट,कवि,पत्रकार
202 नीरव निकुजं फेस-2 सिकंदरा,आगरा -282007
मो:9412443093

Language: Hindi
185 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Bodhisatva kastooriya
View all

You may also like these posts

फुर्सत नहीं है
फुर्सत नहीं है
Dr. Rajeev Jain
फूल की प्रेरणा खुशबू और मुस्कुराना हैं।
फूल की प्रेरणा खुशबू और मुस्कुराना हैं।
Neeraj Kumar Agarwal
सत्रहवां श्रृंगार
सत्रहवां श्रृंगार
अंकित आजाद गुप्ता
आखिरी अल्फाजों में कहा था उसने बहुत मिलेंगें तेरे जैसे
आखिरी अल्फाजों में कहा था उसने बहुत मिलेंगें तेरे जैसे
शिव प्रताप लोधी
कहां बिखर जाती है
कहां बिखर जाती है
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
किसी की बात सिर्फ इसलिए मत मानिए की वह बड़े हैं, उम्र का समझ
किसी की बात सिर्फ इसलिए मत मानिए की वह बड़े हैं, उम्र का समझ
पूर्वार्थ देव
खड़ा रहा बरसात में ,
खड़ा रहा बरसात में ,
sushil sarna
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जाने क्या हो गया बस एक ही मुलाकात में
जाने क्या हो गया बस एक ही मुलाकात में
Jyoti Roshni
सागौन बबूल भी तुम्ही रखना
सागौन बबूल भी तुम्ही रखना
sushil yadav
■ एम है तो एम है।
■ एम है तो एम है।
*प्रणय प्रभात*
" युद्धार्थ "
Dr. Kishan tandon kranti
" नैना हुए रतनार "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
मेरा घर संसार
मेरा घर संसार
Savitri Dhayal
माना दो किनारे हैं
माना दो किनारे हैं
Suryakant Dwivedi
सुनो
सुनो
पूर्वार्थ
प्रकृति कि  प्रक्रिया
प्रकृति कि प्रक्रिया
Rituraj shivem verma
"लोगों की सोच"
Yogendra Chaturwedi
3063.*पूर्णिका*
3063.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आस्था
आस्था
Rambali Mishra
काश.! मैं वृक्ष होता
काश.! मैं वृक्ष होता
Dr. Mulla Adam Ali
क्या कहें
क्या कहें
विजय कुमार नामदेव
*कितनों से रिश्ते जुड़े नए, कितनों से जुड़कर छूट गए (राधेश्य
*कितनों से रिश्ते जुड़े नए, कितनों से जुड़कर छूट गए (राधेश्य
Ravi Prakash
इंसान
इंसान
Mansi Kadam
वक्त का ही जग में दौर है ।
वक्त का ही जग में दौर है ।
Rj Anand Prajapati
श्रद्धा तर्क, तर्कबुद्धि तथा ईश्वर (Faith, Logic, Reason and
श्रद्धा तर्क, तर्कबुद्धि तथा ईश्वर (Faith, Logic, Reason and
Acharya Shilak Ram
बापू फिर से आ जाओ
बापू फिर से आ जाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
इल्जामों के घोडे
इल्जामों के घोडे
Kshma Urmila
कविता(प्रेम,जीवन, मृत्यु)
कविता(प्रेम,जीवन, मृत्यु)
Shiva Awasthi
वह हमारा गुरु है
वह हमारा गुरु है
gurudeenverma198
Loading...