जाने क्यों तुमसे मिलकर भी
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जाने क्यों तुमसे मिलकर भी
मिलने की तमन्ना होती है,
प्यार पाकर भी तुम्हारा,
प्यार पाने की तमन्ना होती है
अपने हालात का हम तुमसे
कैसे – कैसे बयां करें,
तुम्हें हमारी बात सुनने की,
फ़ुरसत ही कहां होती है
ग़म के दरिया में हम यूं ही
बहते रहे हरपल,
अब तेरे प्यार की खातिर
डूब जाने की तमन्ना होती है
हमने समझा था प्यार को,
एक आसान सा मक़ाम,
अब हुआ ज्ञात कि चाहत में,
मंजिल ही कहां होती है।
जाने क्यों तुमसे मिलकर भी,
मिलने की तमन्ना होती है ….
✍️ सुनील सुमन