” जय भारत-जय गणतंत्र ! “
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/176246747def681a70caac9af2ee6958_53f045c1f0608c7f1e9a2a872ac82df6_600.jpg)
मिट्टी इसकी पावन है,सब शीष झुकाते हैं,
मिट्टी इसकी पावन है,सब शीष झुकाते हैं,
सागर और हिमालय इसको गोद खेलाते हैं-2
सिरमौर है दुनियां का ये, गाथा इसकी महान है,
कण-कण इसका सोना जैसा, सुंदर ये पहचान है,
एक-दूजे को साथ लिए हम कदम बढ़ाते हैं-2
मिट्टी इसकी पावन है,सब शीष झुकाते हैं ।
रंग-रूप या खानपान हो,चाहे अलग हो भाषा,
खुद ईश्वर ने कर कमलों से,हम सबको है तराशा,
थाम के अपने हाथ तिरंगा, हम फहराते हैं-2
मिट्टी इसकी पावन है,सब शीष झुकाते हैं ।
कसम हमें है भारत मां की देश नहीं झुकने देंगे,
इस धरती पे हम दुश्मन के कदम नहीं टिकने देंगे,
देश की खातिर हंस-हंस के,कुरबां हो जाते हैं-2
मिट्टी इसकी पावन है,सब शीष झुकाते हैं ।
सागर और हिमालय इसको गोद खेलाते हैं।
—