जमाने की साजिशों के आगे हम मोन खड़े हैं

जमाने की साजिशों के आगे हम मोन खड़े हैं
अपने हक की खातिर हम कई बार लड़े हैं !
ठोकरों से गिरने का कोई खौफ नहीं हमको
हौसले मेरे आसमानों से भी बहुत बड़े हैं . !!
कवि दीपक सरल
जमाने की साजिशों के आगे हम मोन खड़े हैं
अपने हक की खातिर हम कई बार लड़े हैं !
ठोकरों से गिरने का कोई खौफ नहीं हमको
हौसले मेरे आसमानों से भी बहुत बड़े हैं . !!
कवि दीपक सरल