जब तलक था मैं अमृत, निचोड़ा गया।
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जब तलक था मैं अमृत, निचोड़ा गया।
बना पुष्प जब भी मैं, तोड़ा गया।।
जब से कांटा बना हूँ, सुकूँ है मुझे।
क्योंकि राहों में थोड़ा सा मोड़ आ गया।।
जब तलक था मैं अमृत, निचोड़ा गया।
बना पुष्प जब भी मैं, तोड़ा गया।।
जब से कांटा बना हूँ, सुकूँ है मुझे।
क्योंकि राहों में थोड़ा सा मोड़ आ गया।।