छिपी हो जिसमें सजग संवेदना।
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/b988e09d57c18709ed34d8a55951b956_4c15f1e446aecc84e6e92212732e716a_600.jpg)
राष्ट्रहित गह दिव्यता, दे चेतना।
छाॅंट दे जो सहज में जन -वेदना।
वही रचना देश का सम्मान है।
छिपी हो जिसमें सजग संवेदना।
पं बृजेश कुमार नायक
राष्ट्रहित गह दिव्यता, दे चेतना।
छाॅंट दे जो सहज में जन -वेदना।
वही रचना देश का सम्मान है।
छिपी हो जिसमें सजग संवेदना।
पं बृजेश कुमार नायक