चांदनी रात
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कोई तप कर सोना बनता है,
कोई जल कर प्रकाश देता है
हीरे को किरण का प्रकाश
खुद की धूरी पर घूमते घूमते
धरती के चक्कर लगाते हुए.
सूरज से प्रकाशमान हो जाना
चांदनी रात एक पखवाड़े
फिर वही अमावस्या की रात,
शिलाओं का निर्यास शिलाजीत
चांदनी रात में उठते जल-प्रपात,
समुद्र में उठती गगनचुंबी लहरें,
गुरुत्वाकर्षण बल है बलाबल,,
शीतल आभास एक चांदनी रात,