चलो माना तुम्हें कष्ट है, वो मस्त है ।
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चलो माना तुम्हें कष्ट है, वो मस्त है ।
और उसे कोई फर्क नहीं पड़ता ।
पर जिसे तुम मस्त समझते हो,
जाकर मिलना कभी उससे,
मौका अगर मिलेगा तो,
पता चलेगा तुम्हें,
उसे भी उतना ही कष्ट है,
जितना तुम्हें कष्ट है ।।
चलो माना तुम्हें कष्ट है, वो मस्त है ।
और उसे कोई फर्क नहीं पड़ता ।
पर जिसे तुम मस्त समझते हो,
जाकर मिलना कभी उससे,
मौका अगर मिलेगा तो,
पता चलेगा तुम्हें,
उसे भी उतना ही कष्ट है,
जितना तुम्हें कष्ट है ।।