घातक शत्रु
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/0d607b4bf988563ef1c95f3edd882e65_9f6c522a5dc00703c177ba8b7af97f05_600.jpg)
किसी का कोई उकवाँ-कारीबी
जो उसका साथ देता हमेशा
रहता हर वक्त हर पल सदा
वैमत्य – कलह होने पर वो
बन जाता हमारा एक वह
बड़ा ही घातक प्रतिद्वंदी
वही हमारा प्रत्यवस्थाता
प्राणांतक होता वो घातक
उसके पास हमारे निमिष,
हर क्षण-क्षण का मेल उन्हें
वही हमारा जानी वैमनस्यता
वही हमारा होता घातक शत्रु।