*घर के बाहर जाकर जलता, दीप एक रख आओ(गीत)*
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घर के बाहर जाकर जलता, दीप एक रख आओ(गीत)
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घर के बाहर जाकर जलता, दीप एक रख आओ
1)
घोर अमावस की अँधियारी, रात आ गई काली
आसमान में चाँद नहीं है, दिखता सब कुछ खाली
पथिक द्वार से होकर जाए, राह उसे दिखलाओ
2)
बिना चाँद के देखो दुनिया, है सूनी कहलाती
जहाँ उजाता नहीं वहाँ पर, दुनिया है कब गाती
घर के भीतर भी उजियारा, बाहर भी फैलाओ
3)
जीवन का बस इतना मतलब, खुश ही रहना सीखो
अर्थ खुशी का भीतर-बाहर, यह ही कहना सीखो
सूरज-चंदा-रूठे यम से, कह दो नहीं डराओ
घर के बाहर जाकर जलता, दीप एक रख आओ
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451