घर की रानी
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भैयाजी की बेतुकी हरकतों से,
करने को इंसाफ,
भाभीजी ने तय किया तुरंत,
झाड़ू से ही अब मस्तिष्क,
करना होगा साफ।
करना होगा साफ,
चलेगी न अब कोई मनमानी,
जताना होगा अधिकार,
अगर हो तुम शहर के राजा,
मैं हूँ घर की इकलौती रानी।।
रचनाकार :- कंचन खन्ना,
मुरादाबाद, (उ०प्र०, भारत) ।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार) ।
दिनांक :- ११/०५/२०१८.