गेसू सारे आबनूसी,
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गेसू सारे आबनूसी,
मूंगे जैसे ये अधर।
कमल की पंखुड़ियां आंखें,
सब फना हो जाएंगे।
बस सलामत नाम होगा,
होगा खालिक एक खुदा।
दरिया के पार लेकर जाए,
वह मुरशिद जो नाखुदा।
सतीश सृजन
गेसू सारे आबनूसी,
मूंगे जैसे ये अधर।
कमल की पंखुड़ियां आंखें,
सब फना हो जाएंगे।
बस सलामत नाम होगा,
होगा खालिक एक खुदा।
दरिया के पार लेकर जाए,
वह मुरशिद जो नाखुदा।
सतीश सृजन