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16 Jun 2016 · 1 min read

गीत

सृष्टि कण कण में बसा है गीत का संसार
शब्द की स्वर लहरियों में गीत का श्रंगार
ग्यान में विज्ञान में है,साधकों के ध्यान में है
श्वास में निःश्वास में है गीत का अधिकार
खुली अलकों बंद पलकों में निहित है सादगी में
सुरमइ चम्पइ रंग में गीत के उद्गार
जन्म में है मरण में है त्याग में है वरण में है
हर अधर पर हर नयन में गीत का ही प्यार
पाश में है मुक्ति में है विश्व में है ईश में है
योग ऐर वियोग में है गीत कर्म प्रसार
सुरेशसोनी”शलभ”

Language: Hindi
594 Views
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