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12 Mar 2023 · 1 min read

ग़ज़ल

दोस्त भी दुश्मन को लिए साथ आ गए।
जितने थे दर्द साथ मुझे रास आ गए।

आंखों को भी सुकून मिला दिल को भी सुकून।
वह दिल में बनके जब से मेरे खास आ गए।

हैरत है कोई संग मलामत नहीं बरसा।
सब संगबाज़ कैसे भला बाज़ आ गए।

मुझसे छुपा रहे थे जो मेरी ही बात को।
वह खुद बताने मुझको अपने राज़ आ गए।

सबसे दूर रहते थे मुझसे भी दूर थे।
न जाने किस तरह वह मेरे पास आ गए।

ऐलान हुआ जब से इमदाद सरकारी।
कासा लिए हुए सभी मोहताज आ गए।

आप सगीर उड़ना खुले आसमान में।
अब तो कबूतरों में भी कुछ बाज आ गए।

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